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डॉ. अनिल कुमार टेटे
21 वर्ष का झारखंड

15 नवंबर 2000 एक विशेष अवसर, एक विशेष दिवस जब धरती आबा बिरसा मुंडा की जयंती पर झारखंड राज्य को एक अलग पहचान मिली। झारखंड के अमर वीर शहीदों एवं आंदोलनकारियों के संघर्ष और शहादत को नमन करते हुए प्रत्येक वर्ष 15 नवंबर को राज्य अपनी स्थापना दिवस का उत्सव मनाता है। इस दिन झारखंड राज्य के निर्माण की लंबी लड़ाई को याद किया जाता है और संकल्प लिया जाता है कि हम सब मिलकर झारखंड को विकास के पायदान में आगे लेकर चलें। आज राज्य अपनी स्थापना का 21 वर्ष मना रहा है। हमें इस बात पर मंथन करना होगा कि इन 21 वर्षों में राज्य कहाँ तक पहुँच पाया है।
अध्ययन के पश्चात कहा जा सकता है कि आंकड़े तो बदलें है लेकिन परिवर्तन की गति धीमी है। खनिज की प्रचुरता के बावजूद राज्य की अर्थव्यवस्था धरासायी है। राज्य में बेरोजगारों की संख्या तीव्र गति से बढ़ रही है और रोजगार की तलाश में लोग महानगरों की ऒर पलायन कर रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहाल हैं। कृषि क्षेत्र में सिंचाई सुविधाओं का अभाव है। कोरोना महामारी के बाद राज्य आर्थिक रुप से उबर नहीं पाया है। कईयों के रोजगार छिन गये हैं। राज्य सरकार को इन सभी समस्याओं को दूर करने के लिए आवश्यक ध्यान देना होगा और ठोस एवं सकारात्मक कदम उठाने होंगे। औद्योगिक क्षेत्र में निवेशकों की आवश्यकता है। इससे गिरती हुई अर्थव्यवस्था को सम्बल मिलेगा और रोजगार के नवीन अवसर मिल सकेगा। स्वरोजगार के लिए आर्थिक सहायता प्रदान किए जाने की आवश्यकता है। ग्रामीण इलाकों में बुनियादी सुविधाओं की पहुँच सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य सुविधाओं को गांव गांव तक पहुँचाना होगा। कृषि क्षेत्र में सिंचाई की व्यवस्था करने की आवश्यकता है। इन सभी आवश्यकताओं के अलावे प्रशासनिक तत्परता अत्यंत महत्वपूर्ण है। विकास योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ साथ उनकी स्वस्थ निगरानी की आवश्यकता है। विकास योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर तक मिल पा रही है इस बात को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। राज्य सरकार के द्वारा कई विकास योजनाओं की शुरुआत तो कर दी जाती है लेकिन जमीनी हकीकत में इन योजनाओं का मूल्यांकन किये जाने की आवश्यकता है और खामियां को दूर करने की आवश्यकता है तभी जाकर हम सब झारखंड को विकास के पायदान पर आगे बढ़ पाएंगे।
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