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तारामणि टेटे
बारिश के गीत

बारिश का मौसम आते ही मन में एक नई उमंग जगने लगती है। जहाँ कृषक रोपा रोपने के लिए तैयारी कर रहे होते है वहीं इस धरती में वर्षा के प्रथम आगमन पर उसके स्वागत के लिए गीत भी गाये जाने लगते है। ऐसा ही एक नागपुरी गीत वर्षा के आगमन एवं उससे मन में उत्पन्न तरंगों का व्याख्यान प्रस्तुत करती है
" झीटा पानी जे बरिसय
लिसोप लोसोय नदी भईर गेल, भला
लिसोप लोसोय नदी भईर गेलय
भलईर भलईर हायरे
नदी ऊपर डोंगा, डोंगा उपरे मनवा
मनेवा को रे लोरा पानी ढरके, भला
मनेवा को रे लोरा पानी ढरके
भलईर भलईर हायरे
काठ केरा डोंगा बांस केरा ठेवा डांग
झोरा बेटा रीझे डोंगा चलाय, भला
झोरा बेटा रीझे डोंगा चलाय
भलईर भलईर हायरे"
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