top of page
Screen Shot 2021-03-25 at 16.36.52.png

दिल्ली में आदिवासी पर्व  करम के मायने

PhotoFunia-1665394231.jpeg

नीतिशा खलखो 

IMG_20220907_192451_513.jpeg
IMG_20220907_192451_350.jpeg

दिल्ली सरना समाज द्वारा करम पर्व लक्ष्मीबाई नगर कम्युनिटी हॉल (दिल्ली) में आयोजित किया गया।। 

यह संस्था 1976 के लगभग से इसे हर साल यहाँ करम पर्व का आयोजन करती आ रही है, क्योंकि दिल्ली में कोई अखड़ा (आदिवासियों का सांस्कृतिक स्थल) नहीं है। 

आदिवासियों को उसके धार्मिक, पारम्परिक प्रैक्टिसेज के लिए ये कम्युनिटी सेंटर ही उपलब्द्ध हैं। जिसे ठीक 11 बजते ही अपने मांदर, नगाड़े, झांझ को बंद करने का निर्देश होता है। यहाँ आप सुबह तक अपने करम डाल की सेवा में रात भर नाच गा नहीं सकते, जोकि अखड़ा में होता आया है, क्यूंकी यह मेट्रोपालिटन सिटी है। यहाँ धार्मिक आयोजन के अखंड पाठ, जागरण के लिए रात भर का आयोजन, कांवड़ के लिए जगह है, परन्तु हम  आदिवासियों की धार्मिक मान्यताओं के लिए यहाँ कोई प्रबंध नहीं है, न ही इजाज़त।।

 

 क्योंकि 2011 के जनगणना में दिल्ली ऐसा राज्य है जहाँ की आदिवासी  आबादी 0% दिखाई जाती है। 

 

यहाँ साउथ इंडियन टेम्पेल्स और उनके भवन मिल जाएंगे, उनका खाना पीना, हैण्डलूमस,  मसाले, उनके हर दिन के व्यवहार की चीज़ें  मिल जाएंगे।।

 

उसी तरह बंगालियों के काली बाड़ी मिल जाएंगे, खान पान, पहनावा, सब कुछ हासिल हो जाएगा। 

उसी तरह कई धर्म, और संप्रदाय के लिए यहाँ दिल्ली में सुविधाएं हैं। अपनी धार्मिक मान्यताओं को करने के लिए स्पेस मिल जाता है, लेकिन आदिवासी को चाहिए जंगल, सेक्रेड ग्रूव, अखड़ा, धुमकुड़िया; पर यह दिल्ली में कहाँ ?? 

 

रायसीना भवन में एक जगह, कुछ माह पहले ही हमारे आदिवासी महामहिम को हासिल हुई है। लेकिन बाकी आदिवासी दिल्ली में कहीं नहीं।।।

 

उनकी आबादी को 0% कहने वाले जनगणना रजिस्टर झूठे हैं। उन्होंने साज़िश के तहत इसे यह दिखाया है। क्योंकि नजफगढ़, बुराड़ी, अया नगर, झारखण्डी आदि  जगहों में आज घर बनाकर वर्षों से रहने के बाउजूद यहाँ आदिवासी आबादी को 0% घोषित किया जा रहा।।

 

दिल्ली हाट के पीछे अखिल भारतीय आदिवासी परिषद के नाम पर कार्तिक उराँव के समय मे एक प्लाट हुआ करता था।। किंतु वह आज अतिक्रमण का शिकार होकर खत्म हो चुका है।।

आदिवासी का सिम्बोलिक प्रतिनिधित्व आज दिल्ली में  सबसे उच्चतम पद पर जरूर है, पर  उनके तरफ से आदिवासियों के महापर्व  करम में एक शुभकामना संदेश का न आना, बहुत ही दुखद है।। अखबारों में कोई संदेश नहीं दिखा है। ट्वीटर हैंडल में यह बधाई संदेश आया है, पर आदिवासी जनता कितनी ही ट्विटर में है यह विचरणीय तथ्य है। उस ट्वीट में भी उन्होंने आरएसएस एजेंडे के तहत उसे भाई बहन का पर्व बताया है। जबकि यह कृषि, अच्छी बारिश, अनाज की संपूर्णता आदि पर टिका महापर्व है।। भाई की महत्ता को बार-बार जिस तरीके से आदिवासी पर्वों त्योहारों में थोपा जा रहा, वह बहुत हद तक रक्षा बंधन ही इसे घोषित करवा डालना चाहते हैं। लैंगिक समानता पर आधारित यहाँ स्त्री, पुरुष की महत्ता आदिवासी समाज में निरंतर बानी हुई है।

जैसा कि इसी वर्ष बीते हुए आदिवासी दिवस 9 अगस्त 2022  को भी उनका कोई  जन संदेश नहीं आया था।  आदिवासी जनता इससे बहुत खफा थी।। पर उन्होंने रक्षा बंधन का संदेश खूब दिया था।। ऐसे में  महामहिम पर प्रश्न उठता ही है।।

 

ख़ैर बात आगे बढ़ाते हैं, दिल्ली के आदिवासी अपनी पहचान के लिए जनगणना रजिस्टर में जूझ रहे।

 

वह केवल जंतर-मंतर तक अपनी चंद घंटों की दावेदारी दिल्ली में कर पाते हैं।।

 

दुखद है।।

 

विचारें त्यौहार के मौसम में भी।।

 

और यह भी अति दुखद है कि आदिवासी पहचान के लिए साथ लड़ने वाले क्रिस्चियन आदिवासी भी इन पारम्परिक आयोजन से दूर रहने की कोशिश करते हैं।

 

 वह 'आदिवासी दिवस' तक comfortable है पर करम, सोहराई और सरहुल से आज भी वह अनजान ही बने रहते हैं।।

 

यह सेल्फ इंट्रोस्पेक्शन का समय है।

 

दिल्ली में पहले यह करम ,सरहुल आदि का आयोजन क्रिस्चियन कम्युनिटी भी करते आये हैं। पर इस बार यह कहीं भी मनाया गया इसकी सूचना नहीं मिल पाई है।।

 

राजनैतिक यूनिटी से ज्यादा, एक सांस्कृतिक यूनिटी की ही बात हम सभी को बनानी होगी।।

 

मेरे कई क्रिस्चियन दोस्त उस आयोजन में दिखाई दिए, पर पहल करनी होगी कि दूरियां, जो 19वीं सदी में अंग्रेजी मिशनरियों ने बोई, या जो दूरियां आर एस एस जैसे संगठन  ने हमारे बीच बोया है, उसे हम खत्म करें।।

 

 हम यह गैप न बनने दें। 

 

मेरा सादर आग्रह है कि सरना समाज, क्रिश्चियन समाज आदिवासियत पर आस्था रखता है तो इन बातों को गौर करके इस दिशा में काम शुरू करें।।

 

मेरा इंटेंशन कतई किसी को भी दु:ख पहुंचाने का नहीं है, बल्कि उसे एड्रेस किया जाए।। यह है।।

logo.png

Contact Us

+91-9905163839

(For calls & whatsapp)

  • Facebook

Contact us on Facebook

bottom of page