



संपादकीय: आदिवासी समाज का नया दौर
प्रवीण एक्का

आवाज दो ........हम एक हैं......, जान देंगे......जमीन नहीं देंगे,.....आदिवासी एकता ....जिन्दाबाद-जिन्दाबाद, जल जंगल जमीन हमारा है.......हमारा है...हमारा है !! उक्त नारों की ध्वनियों से आदिवासी समाज बखूबी जुड़ाव महसूस करता रहा है और कर रहा है, लेकिन कब तक लगाना होगा नारा ?
संघर्षपूर्ण जीवन यापन के साथ-साथ, जमीन और जंगल को बचाते हुये, दिन से महीना और महीनों से साल होते हुये वर्ष 2021 बीत गया, और हमलोग अब वर्ष 2022 में आ चुके हैं।
"जनसंघर्ष" पत्रिका के संपादक मण्डली की ओर से आप सभी पाठकों को कोटितम शुभकामनाएं एवं बधाइयाँ !!
जोहार साथियों!!
संघर्षपूर्ण आदिवासी जीवन अब वर्ष 2022 में पहुंच चुका है। समय बदला है, माहौल बदला है, लेकिन आदिवासी समाज की परिस्थिति में बदलाव की गति बहुत ही धीमी गति से चल रही है। वजह कई हैं, ज़्यादातर को आप देखते, सुनते, जानते और महसूस करते हैं। कुछ वजह दूरस्थ रणनीतिकारों के द्वारा रची जातीं हैं, जिसे हमारा समाज आसानी से नहीं समझ पाता।
खैर, नए साल का नियमन (Resolution) की तर्ज पर अब हमें भी अपनी सहभागिता निभाते हुये, सही जानकारियों को सीखकर, समाज को नया रूप और मार्ग दर्शन देने का काम करना है।
देखा जाय तो देश के सभी आदिवासी जिलों का सामाजिक वातावरण तकरीबन एक जैसा है, भले ही धर्म, जाति या भाषाओं में विभिन्नता है। आदिवासी समाज में अनावश्यक नशापान, बेरोजगारी और शोषण आज के दिन तक कायम है, जोकि आदिवासी समाज के उन्नति में परम बाधक हैं। आदिवासी नेतागण हमारे संवैधानिक अधिकारों को कार्यान्वित करवाने में असमर्थ दिखाई दे रहे हैं। हजारों की संख्या में आदिवासी समूह आदिवासी एकता के नाम पर कार्यरत हैं जिनसे क्षणिक लाभ पहुंच रहा है। जो भी हो अब इस नये वर्ष 2022 में हम सभी को प्रण लेने की आवश्यकता है कि "मैं अपने आदिवासी समाज के हित में निःस्वार्थ कार्य करूँगा/करूँगी।"
आदिवासी समाज को आधुनिकता में सक्षमता से अग्रसर करने के लिये आर्थिक श्रोत में ज्यादा से ज्यादा जानकारी इकट्ठा कर आगे बढ़ने का प्रण लेना होगा। जिस प्रकार भारत सरकार ने 2015 में Skill India के तहत कौशल भारत, कुशल भारत की कार्ययोजना प्रारम्भ की थी, उसी प्रकार आदिवासी समाज को भी अपने रुचि अनुसार अपने हुनर को तराशने की अति आवश्यकता है।
इस नये वर्ष 2022 में, आदिवासी समाज यह तय करे कि दिसम्बर 2022 तक ज्यादा से ज्यादा आदिवासी युवक-युवतियों को कौशल भारत, कुशल भारत के स्लोगन की तरह हुनरमंद बनाने के लिये प्रेरित करें और प्रोत्साहित करें।
जिस प्रकार से दूसरे समुदाय के युवा विभिन्न क्षेत्रों में विशेष ज्ञान लेकर आत्मनिर्भरता पूर्वक स्वरोजगार अपनाकर अच्छी आमदनी कमा रहे हैं, वैसे ही हमारे आदिवासी समुदाय के युवा पीढ़ी भी आत्मनिर्भर बनें।
अपने -अपने निजी जीवन में सफलता मिलने से ही किसी समाज का अच्छा वातावरण तैयार होता है, साथ ही कठिन सामाजिक समस्या या आधिकार हनन के ख़िलाफ़ आवाज उठाने की हिम्मत आती है।
"जनसंघर्ष" पत्रिका के सभी लेख सामाजिक ताना-बाना के इर्दगिर्द रहती हैं, इन लेखों के माध्यम से आप बातों व हालातों को समझने की कोशिश करें और अपने विवेक द्वारा बेहतर व निर्णायक कार्ययोजना द्वारा आदिवासी समाज को खुशियों से भरा नया दिन और नया साल दिखाने का कार्य करते रहें। यह समय आदिवासी समाज के लिये नया दौर है, जहां हम संवैधानिक तरीकों से अपने अधिकारों की जानकारियां लेकर उनका कार्यान्वयन करवा सकते हैं। जागरूक बनें और जागरूकता फैलायें, जिससे यह साल 2022 आदिवासी समाज के लिये लाभप्रद हो सके।
धन्यवाद !
खुश नया साल 2022