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राजीव कुमार महतो
मैं बेटी हूं

मैं बेटी हूं,
मुझे खिलने तो दो
मुझे पढ़ने तो दो
दुनिया के हसीन आसमा में उड़ने तो दो।
मैं कमजोर नहीं,
मैं लाचार और बेबस नहीं,
मैं भोग, विलास की कोई वस्तु नहीं,
मैं शक्ति हूं, सृजनकर्ता हूं, पालनकर्ता हूं, मैं बेटी हूं।।
मैं केवल सुंदर तन ही नहीं,
मैं सुंदर मन, प्रेम और वात्शल्य का सागर हूं,
मैं मां हूं, बहन और बेटी हूं,
तुम्हारी जीवन संगिनी हूं।
मैं बेटी हूं,
मुझे खिलने तो दो,
दुनिया के हसीन आसमा में उड़ने तो दो।।
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