



डॉ. संजय बाड़ा
सिंहभूम का सारंडा: औषधीय गुणों से भरपूर जंगल

प्रकृति ने झारखंड को बहुत खूबसूरत बनाया है। इस राज्य का नाम ही झाड़ झंकार और जंगल पर पड़ा है। इसी झारखंड के नाम को चरितार्थ करता है दक्षिण झारखंड में स्थित सारंडा का घना जंगल।
वैसे तो झारखंड के घने जंगल हमेशा से औषधीय गुणों से भरपूर रहे है परंतु सारंडा के जंगल काफी समय से अपने विशिष्ट गुणों की वजह से हमेशा चर्चा में रहा है। पूरा विश्व आज इस महामारी की अवधि में पर्यावरणीय विषयों पर चर्चा कर रहा है। आज इस अवसर पर हम झारखंड के सबसे बड़े जंगल सारंडा की बात करेंगे। इन दिनों सारंडा के जंगल अपने औषधीय पौधों एवं शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के औषधीय गुणों के कारण चर्चा में है।
झारखण्ड के पश्चिम सिंहभूम जिले से लगभग 70 किलोमीटर दूर स्थित सारंडा लगभग 820 वर्ग किलोमीटर में फैला सघन वन है। इस वन क्षेत्र की सीमा ओड़िसा तक फैली हुई है कहा जाता है कि एशिया का सबसे बड़ा साल (सखुआ) वृक्षों का जंगल सारंडा का जंगल है। सात सौ पहाड़ियों से घिरा यह वन अपनी हरियाली और खूबसूरती को अपने आँचल में लिए खामोशी के साथ प्रकृति प्रेमियों का आकर्षण का केंद बनी हुई है। सखुआ के अलावा यहां आम, जामुन, बांस, कटहल एवं पलाश के भी अनेकों पेड़ है। ऊँचे, छांवदार, फलदार इन अनगिनत पेड़ो का वर्चस्व यहां कुछ ऐसा है कि सूरज की किरणें भी यहाँ मुश्किल से प्रवेश कर पाती है सारंडा की पहाड़ियों से किरीबुरू के शानदार सूर्योदय एवं सूर्यास्त का नज़ारा देखा जा सकता है सारंडा जंगल के पशु-पक्षियों में हाथी यहां बहुतायत संख्या में मिलते है। इसके अलावा तेंदुआ, जंगली भैंस, सांभर, भालू एवं हिरण काफी संख्या में पाए जाते हैं।
कुछ दुर्लभ प्रजाति के जीव भी यहाँ पाए जाते है घने वन होने के कारण ये स्थान कई प्रजाति के पक्षियों का भी पसंदीदा घर है। हालांकि अब इनकी संख्या में कमी आई है इस जंगल में औषधीय पौधे बहुतायत में पाए जाते हैं. इनमें सफेद मूसली, काली मूसली, मुलेठी, सतावर, गुडमार, चेरेता, कालीहारी, पत्थरचूर, तुलसी, अर्जुन, आदि प्रमुख हैं। एशिया के प्रसिद्ध सारंडा जंगल में पाए जाने वाले औषधीय पौधों से वन एवं पर्यावरण विभाग ने आयुर्वेद के जानकारों की मदद से एक काढ़ा तैयार किया है। इस हर्बल पेय को 'इम्युनिटी बूस्टर' (प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला) बताया जा रहा है। इस पेय पदार्थ को बनाने में मुख्य रूप से गिलोय, अर्जुन वृक्ष की छाल, अमरूद की पत्तियां, अदरक, काली मिर्च, गुड़ इत्यादि का प्रयोग किया गया है। इस काढ़े का नाम 'सारंडा इम्युनिटी बूस्टर' (Saranda Immunity Booster) दिया गया है।
प्रकृति ने झारखंड को कई अनमोल उपहार दिए है सारंडा का जंगल इसका अनुपम उदाहरण है यह जंगल झारखंड की अनमोल धरोहर है। आज संकल्प लेने की आवश्यकता है कि हम प्रकृति का संरक्षण करें हम जितना पेड़ पौधे लगायेंगे, वनों को सुरक्षित रखेंगे उतना ही हमारा जीवन एवं आने वाली पीढ़ी का जीवन सुरक्षित रह पाएगा।